मंगलायतन विश्वविद्यालय में कृषि विभाग द्वारा विश्व वानिकी दिवस का आयोजन

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मंगलायतन विश्वविद्यालय के कृषि विभाग द्वारा विश्व वानिकी दिवस का आयोजन किया गया। विभागाध्यक्ष प्रो. प्रमोद कुमार ने बताया कि विश्व वानिकी दिवस मनाया जाने का प्रारंभ विश्व खाद्य संगठन वर्ष 1971 में आयोजित सम्मेलन के 16वें सत्र में सभी प्रतिभागी देशों की तरफ से प्रतिवर्ष 21 मार्च को मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया। वर्ष 2025 को वानिकी दिवस के कार्य योजना तथा विश्व वानिकी दिवस की योजना के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा उठाए गए समुचित प्रयास किए जा रहे हैं। सर्वप्रथम राष्ट्रीय कृषि वानिकी नीति से हुई। जिसका उद्देश्य कृषि वानिकी को बढ़ावा देना था। तदोपरांत वित्तीय वर्ष 2015-16 में हरित भारत अभियान (जीआईएम) का शुभारंभ हुआ। जिसके नेशनल एक्शन प्लान क्लाइमेट चेंज मुख्य अंश थे। तीसरे चरण में फायर डिटेक्शन सिस्टम का प्रारंभ किया गया। जिसका प्रमुख उद्देश्य जंगलों को आग से बचाना है। अंत में वर्ष 2018 में वन धन योजना की शुरुआत हुई। जिसका प्रमुख उद्देश्य जनजातियों को संगठित कर उनका उत्थान करना है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत में वर्तमान में 33 फीसद आच्छादन के सापेक्ष मात्र 25 फीसद वन क्षेत्र हो पाया है। जबकि अधिकतम वन आच्छादन में मिजोरम (85 प्रतिशत) है । वनों से हमें फल, फूल, भोजन, औषधि, इमारती लकड़ी एवं ईंधन प्राप्त होता हैं। इसके अतिरिक्त जंगली जानवरों हेतु सुरक्षित आश्रय, जल, जलवायु एवं प्रस्थिकी का संरक्षण मिलता है। इस अवसर पर वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. एके दुबे ने औद्योगिक उत्पादन के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी। प्रो. वेद रतन ने निरंतर वनों के वृक्षों में लगने वाले विभिन्न प्रकार के बीमारियों की जानकारी दी। सहायक प्राध्यापक डा. विपिन कुमार ने वानिकी दिवस का आयोजन किया। शिक्षक डा. आकांक्षा सिंह, डा. पवन कुमार सिंह, डा. संजय, डा. मयंक प्रताप, डा. प्रत्यक्ष पांडे, डा. कृष्णा कुमार, डा. रोशन लाल, पंकज कुमार आदि थे।

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